भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भारतम् / कौशल तिवारी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:33, 31 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatSanskritRachna}} <poem> भा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भारतं नास्ति बहिर्
यद् दृश्यते साकारम्,
वर्तते यस्य
काऽपि सीमा,
यद् विभज्य
खण्डशः कृतं
तथाकथितैः देशभक्तैः
समये-समये
जातिभाषाभौगोलिकांचलाधारेण।
भारतं नास्ति बहिर्
भारतं तु तदेवाऽस्ति
यद् धावति
रुधिरं भूत्वाऽस्माकं
स्वतन्त्रताचराणां शिरासु
स्पन्दति च
हृदयं भूतं
भारतीयानां देहेषु॥