भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भारतीय / मुंशी रहमान खान

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:36, 13 अगस्त 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुंशी रहमान खान |अनुवादक= |संग्रह= ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आए हम सब हिंद से करन नौकरी हेत।
गिरमिट काटी कठिन से फिर सरकारी खेत।।
फिर सरकारी खेत कोई निज देश चले गए।
कोई खरीदी भूमि कोई गाँवन में बस गए।।
कहैं रहमान भाग्‍य के कारन पाय लक्ष्‍मी बहुत हर्षाये।
रहा भाग्‍य विपरीत जिन्‍हों का कहैं कि यहँ नाहक हम आए।।