भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मन'क घात हम सहिते रहब / भास्करानन्द झा भास्कर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:12, 11 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भास्करानन्द झा भास्कर |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मन'क घात हम सहिते रहब
अपन बात हम कहिते रहब

जिनगी झकड़ल सुन्नर फ़ूल
देह'क पात हम झपिते रहब

रुसल हर्ख बैसल एक कात
दुख'क लात हम सहिते रहब

धर्मभूमि बनल छै पाप स्थल
पुण्यक लेल हम लड़िते रहब

मित्र चरित्र विचित्र छै चर्चित
सत्यक चित्र हम रचिते रहब