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"माँ-बाप / भोले मुसाफ़िर इतना तो जान" के अवतरणों में अंतर

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भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,
 
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,
कि दिन सारे होते नहीं एक समान ।
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कि दिन सारे होते नहीं एक समान।
  
 
ओ आँखों से देख अपने दाता की लीला,
 
ओ आँखों से देख अपने दाता की लीला,
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दया मेरे मालिक की सोई नहीं।
 
दया मेरे मालिक की सोई नहीं।
 
जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए,
 
जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए,
जो पल भर में तोड़ेगा दौलत का मान।।
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भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...
 
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वो अल्लाह-- ईश्वर, ख़ुदा जिसका नाम!
 
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वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार,
 
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार,
देगा वही तुझ को ख़ुशियों का दान।।
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देगा वही तुझ को ख़ुशियों का दान।
 
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...
 
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...
 
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18:12, 26 जून 2017 के समय का अवतरण

रचनाकार: ??                 

भोले मुसाफ़िर इतना तो जान,
कि दिन सारे होते नहीं एक समान।

ओ आँखों से देख अपने दाता की लीला,
जो दुख-सुख से जीवन बनाए रंगीला।
ना समझो ग़रीबों का कोई नहीं,
दया मेरे मालिक की सोई नहीं।
जो महलों से गलियों में लाकर रुलाए,
जो पल भर में तोड़ेगा दौलत का मान।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...

वो कहते हैं जिसको रहीम और राम,
वो अल्लाह-- ईश्वर, ख़ुदा जिसका नाम!
वो हर रंग में खेले तू उसको पुकार,
देगा वही तुझ को ख़ुशियों का दान।
भोले मुसाफ़िर इतना तो जान...