भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी। / हरियाणवी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:26, 9 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=जन...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरा भंवर ने भेजी निसानी एक ताला एक छुरी।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
सास, दिल मांगे हरी हरी फली
ताला तो मेरा घर रखवाला छुरी बनारै फली।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
सास, दिल मांगे हरी हरी फली
सास दिल मांगे ताजा फली।
जब उन फलियां नै चीरण बैठी सास नगोड़ी जली।
जब उन फलियां ने जीमण बैठी, दुराणी जिठानी जली।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली
खेतां तै घरवाला आया खूब दड़ाहड़ दई।
दुराणी जिठानी बोली मारै, फिर भी खागी फली।
मेरा दिल मांगे हरी हरी फली