भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"यूँ अचानक हुक्म आया लॉकडाउन हो गया / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
 
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=
+
|संग्रह=लेकिन सवाल टेढ़ा है / डी. एम. मिश्र
 
}}
 
}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}

14:55, 16 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

यूँ अचानक हुक्म आया लॉकडाउन हो गया
यार से मिल भी न पाया लॉकडाउन हो गया

बंद पिंजरे में किसी मजबूर पंछी की तरह
दिल हमारा फड़फड़ाया लॉकडाउन हो गया

घर के बाहर है कोरोना, घर के भीतर भूख है
मौत का कैसा ये साया लॉकडाउन हो गया

गांव से लेकर शहर तक हर सड़क वीरान है
किसने ये दिन है दिखाया लॉकडाउन हो गया

किसकी ये शैतानी माया, किसने ये साजिश रची
किसने है ये जुल्म ढाया लॉकडाउन हो गया ?

ज्यों सुना टीवी पे कोरोना से फिर इतने मरे
झट से दरवाजा सटाया लॉकडाउन हो गया

कल लगाता था गले अब छू नहीं सकता उन्हें
मुश्किलों का दौर आया लॉकडाउन हो गया