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रिश्ता एक पेड़ है / प्रताप सहगल

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रिश्ता बँधा नहीं है
सिर्फ एक डोर से
न ही है रिश्ता
सिर्फ एक दर्पण
रिश्ता सिर्फ
फूलों की महक भी नहीं
रिश्ता तो
एक भरा-पूरा पेड़ है
तना, टहनियाँ, पत्ते, फूल और फल
सब हैं अपनी-अपनी जगह
सब हैं
पेड़ की जड़ें भी हैं
बिना जड़ों के
तने, टहनियाँ, पत्ते, फूल और फल
कहाँ होंगे भला!