भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लाजनि लपेटि चितवनि / घनानंद" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=घनानंद
 
|रचनाकार=घनानंद
 
}}
 
}}
[[Category:कवित्त]]
+
{{KKCatKavitt}}
 
+
<poem>
::::'''कवित्त'''<br><br>
+
लाजनि लपेटि चितवनि भेद-भाय भरी
लाजनि लपेटि चितवनि भेद-भाय भरी<br>
+
::लसति ललित लोल चख तिरछानि मैं।
::लसति ललित लोल चख तिरछानि मैं।<br>
+
छबि को सदन गोरो भाल बदन, रुचिर,
छबि को सदन गोरो भाल बदन, रुचिर,<br>
+
::रस निचुरत मीठी मृदु मुसक्यानी मैं।
::रस निचुरत मीठी मृदु मुसक्यानी मैं।<br>
+
दसन दमक फैलि हमें मोती माल होति,
दसन दमक फैलि हमें मोती माल होति,<br>
+
::पिय सों लड़कि प्रेम पगी बतरानि मैं।
::पिय सों लड़कि प्रेम पगी बतरानि मैं।<br>
+
आनँद की निधि जगमगति छबीली बाल,  
आनँद की निधि जगमगति छबीली बाल,<br>
+
::अंगनि अनंग-रंग ढुरि मुरि जानि मैं।
::अंगनि अनंग-रंग ढुरि मुरि जानि मैं।।1।।<br>
+
</poem>

11:03, 16 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

लाजनि लपेटि चितवनि भेद-भाय भरी
लसति ललित लोल चख तिरछानि मैं।
छबि को सदन गोरो भाल बदन, रुचिर,
रस निचुरत मीठी मृदु मुसक्यानी मैं।
दसन दमक फैलि हमें मोती माल होति,
पिय सों लड़कि प्रेम पगी बतरानि मैं।
आनँद की निधि जगमगति छबीली बाल,
अंगनि अनंग-रंग ढुरि मुरि जानि मैं।