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"वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

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वे लै दे मैंनू मखमल दी पाखी घूंगुरुँआं वाली,
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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पाखी घूंगुरुँआं वाली.
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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली
 
   
 
   
कीता ई  मुडके पाणी पाणी,  
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कीता मुड़के पाणी पाणी,  
भिज गया मेरा सूट जापानी,
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भिज गया मेरा सूट जापानी,
पिगले  गर्मी नाल जवानी,  
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पिघले गर्मी नाल जवानी,  
मखना  नाल जो पाली ,
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मखणा नाल जो पाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पाखी घूंगुरुँआं वाली  
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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली
 
   
 
   
रंग मेरा जिओं अंब सिन्दूरी,
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रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी,
कूले कूले हथ जिओं घ्यो दी चूरी,
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कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी,
क्यूँ  झलना पखा  खजूरी,  
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फूँक भरा पख्खा खजूरी,  
तालियां दी जरह  गाली,
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तलियां दी जड़ गाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पाखी घूंगुरुँआं वाली.
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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली
 
   
 
   
रूप मेरे दा जे लैना नज़ारा,  
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रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा,  
सुण लै पिंड देया लम्बरदारा,  
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सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा,  
मन लै आखा ला तू लारा,  
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मन्न लै आखा ना ला लारा,  
कहन्दीआ ए हीर सियाली,
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कहन्दीऊ हीर सियाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पाखी घूंगुरुँआं वाली.
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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली
  
बिजली दे पखेयाँ दी लैन  बहारां,  
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बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां,  
 
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां,  
 
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां,  
झलन पखियाँ पिंड दियाँ नारा,  
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झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां,  
आये बिजली हाली,
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आये न बिजली हाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पखी घूंगुरुँआं  वाली.
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वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली
 
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18:59, 22 मार्च 2010 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
कीता मुड़के पाणी पाणी,
भिज गया मेरा सूट जापानी,
पिघले गर्मी नाल जवानी,
मखणा नाल जो पाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
रंग मेरा जिवें अंब सिन्दूरी,
कूले हथ्थ जिओं घ्यो दी चूरी,
फूँक भरा ए पख्खा खजूरी,
तलियां दी जड़ गाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।
 
रूप मेरे दा जे लैणा नज़ारा,
सुण वे पिंड देया लम्बड़दारा,
मन्न लै आखा ना ला लारा,
कहन्दीऊ हीर सियाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।

बिजली दे पख्खेयाँ लाईयां बहारां,
सुखी शहर दियाँ सब मुटियारां,
झल्लन पखियाँ पिंड दीआं नारां,
आये न बिजली हाली,
वे लै दे मैंनू मखमल दी पख्खी घुंगुरुँआं वाली ।