भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शब्द-7 / केशव शरण

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:19, 29 मई 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यार
बिना कहे
कह जाता है
दृष्टि मात्र से
अपने प्रेमपात्र से
कर लेता सम्वाद है
लेकिन-
शब्द भी हों तो
क्या बात है!