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शायद दोनों में है अनबन / अजय अज्ञात

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शायद दोनों में है अनबन
तन से आगे भाग रहा मन

जीवन की आपाधापी में
पीछे छूटे बचपन‚ यौवन

उकता जाता है जब मनवा
हर रिश्ता लगता है बंधन

ग़म सहने की आदत डालो
भर जाएगा सुख से दामन

अच्छी सेहत की ख़ातिर तुम
रोज़ाना करिये योगासन

सादा जीवन जीना सीखो
सुलझा लो जीवन की उलझन