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"सदस्य वार्ता:विनय प्रजापति" के अवतरणों में अंतर

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जी आपकी बात ध्यान में रखूँगा, क्षमा चाहता हूँ।
 
जी आपकी बात ध्यान में रखूँगा, क्षमा चाहता हूँ।
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--विनय प्रजापति 'नज़र' १६:२८, ९ मई २००९ (UTC)
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== कविता कोश में वार्तालाप ==
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नमस्कार,
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कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।
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यह लेख ''[[सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग]]'' नाम से उपलब्ध है।
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शुभाकांक्षी
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--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] १६:१०, २६ सितम्बर २००९ (UTC)

21:40, 26 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

विनय,

आप बहुत अच्छे तरीके से कठिन शब्दों के अर्थ लिखते हैं। पाठक हमेशा से यह चाहते रहे हैं कि कविता कोश में शब्दार्थ और अधिक दिये जायें। आपके द्वारा दिये गये शब्दार्थ बहुत सहायक सिद्ध होते हैं। इसी प्रक्रिया को आसान और बेहतर रूप देने के लिये आज मैनें कोश में <ref> </ref> टैग्स को install कर दिया है। इनका प्रयोग कैसे करना है यह आप तुरंत समझ जाएंगे। इसके लिये यह पन्ना देंखे:

नै बुलबुले-चमन न गुले-नौदमीदा हूँ / सौदा

इस पन्ने के Edit mode में जाकर देखिये कि किस तरह इन टैग्स का प्रयोग किया गया है और आगे से इन्हें प्रयोग कीजिये। आपका योगदान सराहनीय है।

शुभाकांक्षी

--सम्यक ११:४७, १२ फरवरी २००९ (UTC)

"/" के बारे में

विनय,

किसी भी रचना का लिंक बनाते समय "/" के दोनों ओर एक-एक स्पेस दें तो बेहतर होगा। इससे पढ़ने में भी आसानी होती है और यही कविता कोश की अब तक की convention भी रही है। ऐसा न करने से कोई मुश्किल खड़ी नहीं होती -सो कभी-कभी ऐसी ग़लती के होने को हम महत्वपूर्ण नहीं मानते। लेकिन संभव हो तो इससे बचना चाहिये।

--सम्यक १०:३३, १४ फरवरी २००९ (UTC)

कृपया "/" के दोनो ओर एक-एक स्पेस डालें

विनय, आपने जो पन्नें बना दिये हैं उन्हें तो अब वैसे ही रहने दीजिये... लेकिन आगे और पन्नें बनाते समय कृपया शीर्षक में "/" के दोनो ओर एक-एक स्पेस अवश्य डालें। इससे शीर्षक पढ़ने में आसानी होती है।

--सम्यक ०८:५९, ९ मई २००९ (UTC)

आपकी बात ध्यान में रखूँगा

जी आपकी बात ध्यान में रखूँगा, क्षमा चाहता हूँ।

--विनय प्रजापति 'नज़र' १६:२८, ९ मई २००९ (UTC)

कविता कोश में वार्तालाप

नमस्कार,


कविता कोश में सदस्यों के बीच वार्तालाप को सुचारु बनाने के उद्देशय से मैनें एक लेख लिखा है। कृपया इसे पढ़ें और इसके अनुसार कोश में उपलबध वार्तालाप सुविधाओं का प्रयोग करें। हो सकता है कि आप इन सुविधाओं का प्रयोग पहले से करते रहें हों -फिर भी आपको यह लेख पूरा पढ़ना चाहिये ताकि यदि आपको किसी सुविधा के बारे में पता नहं है या आप इन सुविधाओं का प्रयोग करने में कोई त्रुटि कर रहे हैं तो आपको उचित जानकारी मिल सके।


यह लेख सदस्य वार्ता और चौपाल का प्रयोग नाम से उपलब्ध है।


शुभाकांक्षी

--सम्यक १६:१०, २६ सितम्बर २००९ (UTC)