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"सुना है, मित्र को लड़की पसंद आ गई है ! / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर

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सुना है, मित्र को लड़की पसंद आ गई है  
 
सुना है, मित्र को लड़की पसंद आ गई है  
 
 
क्योंकि  
 
क्योंकि  
 
 
उसके होठ और स्तन  
 
उसके होठ और स्तन  
 
 
और कलर-च्वायस भी - सचमुच अनोखा है।  
 
और कलर-च्वायस भी - सचमुच अनोखा है।  
 
 
लगातार मिलती रही थी उपलब्धियां  
 
लगातार मिलती रही थी उपलब्धियां  
 
 
पुरस्कार भी  
 
पुरस्कार भी  
 
 
लेकिन किसीने भी ठहरकर नहीं दी थी दाद  
 
लेकिन किसीने भी ठहरकर नहीं दी थी दाद  
 
 
महानगरीय विश्वविद्यालय  
 
महानगरीय विश्वविद्यालय  
 
 
इतना फैला नेटवर्क  
 
इतना फैला नेटवर्क  
 
 
इन सपने संजोई आँखों ने  
 
इन सपने संजोई आँखों ने  
 
 
बस इतना ही चाहा कि ,  
 
बस इतना ही चाहा कि ,  
 
 
हजारों मीलों के फासले पर  
 
हजारों मीलों के फासले पर  
 
 
जीवन अपने तरह का भी न हुआ तो  
 
जीवन अपने तरह का भी न हुआ तो  
 
 
अंगार डालिए ऐसी सूचना तंत्र पर !  
 
अंगार डालिए ऐसी सूचना तंत्र पर !  
 
 
एक ही जीवन है मेरा -  
 
एक ही जीवन है मेरा -  
 
 
अंचार डालिए कि मुरब्बा  
 
अंचार डालिए कि मुरब्बा  
 
 
माँ-बाप के और भी हैं बेटे  
 
माँ-बाप के और भी हैं बेटे  
 
 
कर देंगे पूरी मनोकामना  
 
कर देंगे पूरी मनोकामना  
 
 
कितनी बार ही बची है पढ़ाई छूटते-छूटते  
 
कितनी बार ही बची है पढ़ाई छूटते-छूटते  
 
 
मेरा जीवट था कि  
 
मेरा जीवट था कि  
 
 
मैं यहाँ हूँ  
 
मैं यहाँ हूँ  
 
 
कब किया है इंकार बाप को बाप कहने से  
 
कब किया है इंकार बाप को बाप कहने से  
 
 
जब कहता हूँ तो शान से  
 
जब कहता हूँ तो शान से  
 
 
मैट्रो कि किफायती ज़िन्दगी  
 
मैट्रो कि किफायती ज़िन्दगी  
 
 
मल्टी-नेशनल तहज़ीब  
 
मल्टी-नेशनल तहज़ीब  
 
 
और पोस्ट-मॉडर्न तमीज़  
 
और पोस्ट-मॉडर्न तमीज़  
 
 
किस गंवार बाप ने सिखाई अपनी बेटी को !  
 
किस गंवार बाप ने सिखाई अपनी बेटी को !  
 
 
मेरा मित्र बड़ा संजीदा है  
 
मेरा मित्र बड़ा संजीदा है  
 
 
पिछले सैट बरस में-  
 
पिछले सैट बरस में-  
 
 
नहीं भोग पाया अब्सोल्युट कोस्मोपोलिटन थ्रिल  
 
नहीं भोग पाया अब्सोल्युट कोस्मोपोलिटन थ्रिल  
 
 
औरत नहीं है रहस्य  
 
औरत नहीं है रहस्य  
 
 
गाँव के पिछवाड़े वाले बगीचे में  
 
गाँव के पिछवाड़े वाले बगीचे में  
 
 
चाचियों और चचेरियों को चखा है भरपूर  
 
चाचियों और चचेरियों को चखा है भरपूर  
 
 
लेकिन चौराहे के कोनारे पर  
 
लेकिन चौराहे के कोनारे पर  
 
 
नहीं फिसला पाया है हाथ नितम्बों पर  
 
नहीं फिसला पाया है हाथ नितम्बों पर  
 
 
नहीं चूस पाया , सरे-आम , होठों को  
 
नहीं चूस पाया , सरे-आम , होठों को  
 
 
तरसता रहा था सनने को 'स्टूपिड' और्तानी आवाज़ में ..........  
 
तरसता रहा था सनने को 'स्टूपिड' और्तानी आवाज़ में ..........  
 
 
 
सो सुना है कि मित्र को लड़की पसंद आ गई है।
 
सो सुना है कि मित्र को लड़की पसंद आ गई है।
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09:43, 20 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

सुना है, मित्र को लड़की पसंद आ गई है
क्योंकि
उसके होठ और स्तन
और कलर-च्वायस भी - सचमुच अनोखा है।
लगातार मिलती रही थी उपलब्धियां
पुरस्कार भी
लेकिन किसीने भी ठहरकर नहीं दी थी दाद
महानगरीय विश्वविद्यालय
इतना फैला नेटवर्क
इन सपने संजोई आँखों ने
बस इतना ही चाहा कि ,
हजारों मीलों के फासले पर
जीवन अपने तरह का भी न हुआ तो
अंगार डालिए ऐसी सूचना तंत्र पर !
एक ही जीवन है मेरा -
अंचार डालिए कि मुरब्बा
माँ-बाप के और भी हैं बेटे
कर देंगे पूरी मनोकामना
कितनी बार ही बची है पढ़ाई छूटते-छूटते
मेरा जीवट था कि
मैं यहाँ हूँ
कब किया है इंकार बाप को बाप कहने से
जब कहता हूँ तो शान से
मैट्रो कि किफायती ज़िन्दगी
मल्टी-नेशनल तहज़ीब
और पोस्ट-मॉडर्न तमीज़
किस गंवार बाप ने सिखाई अपनी बेटी को !
मेरा मित्र बड़ा संजीदा है
पिछले सैट बरस में-
नहीं भोग पाया अब्सोल्युट कोस्मोपोलिटन थ्रिल
औरत नहीं है रहस्य
गाँव के पिछवाड़े वाले बगीचे में
चाचियों और चचेरियों को चखा है भरपूर
लेकिन चौराहे के कोनारे पर
नहीं फिसला पाया है हाथ नितम्बों पर
नहीं चूस पाया , सरे-आम , होठों को
तरसता रहा था सनने को 'स्टूपिड' और्तानी आवाज़ में ..........
सो सुना है कि मित्र को लड़की पसंद आ गई है।