भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमने बुलाये सुथरे सुथरे भूंडे भूंडे आये री / हरियाणवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:59, 13 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=हरियाणवी |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=शा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमने बुलाये सुथरे सुथरे भूंडे भूंडे आये री
हमने बुलाये लम्बे लम्बे मोटे नाटे आये री
हमने बुलाये बड़े घरो के ओछे ओछे आये री
हमने बुलाये गोरे गोरे काले काले आये री
हमने बुलाये हाथी के हौदे गधे चढ़ के आये री
छाज का है चंवर डुलाया झाडू का है सेहरा री