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है न अम्मा, है न मुन्ना / दिविक रमेश
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अगर मैं लीपूं
तुमको अम्मा
ज्यों लीपती
तुम आंगन को?
तो मैं भी
आंगन के जैसी
सुथरी बनकर
चमक उठूंगी।
तब तो तुम को
हौले हौले
सम्भल सम्भल कर
छूना होगा
है न अम्मा?
हां चाहते
रहूँ साफ मैं
ध्यान तो तुमको
रखना होगा
जैसे रखते
आंगन का हम
है न मुन्ना?