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129 / हीर / वारिस शाह

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सड़े लेख साडे लज पई तैनूं वडी सोहणी देही नूं लीक लगी
नित करें यारी नित करें तोबा नित करें पखंड ते नित ठगी
असीं मन्हा कर रहे हां मुड़े नाहीं तैनूं किसे फकीर दी कही वगी
वारस शह खंड ते दुध खांदी मारी फिटक दी गई जे हो वगी

शब्दार्थ
<references/>