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159 / हीर / वारिस शाह

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घर आइयां दौलतां कौन देंदा किसे बन्न पिंडों कौन टोड़या ए
असां जिउंदयां नहीं जवाब देना साडा रब्ब ने जोड़ना जोड़या ए
किसे चिठियां खत सुनेहयां ते माल टुटया नाहीयों मोड़या ए
जाये भाइयां भाबियां पास जम जम किसे हटकना ते नाही होड़या ए
वारस शाह सियाला दे बाग विचों असां फुल गुलाब दा तोड़या ए

शब्दार्थ
<references/>