भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कतेक दुख सुनायब हे जननी / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:51, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=देवी...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कतेक दुख सुनायब हे जननी
कतेक दुख सुनायब
तंत्र-मंत्र एको नहि जानल
की कहि अहाँ के सुनायब हे जननी
की कहि अहाँ के सुनायब
मूर्ख एक पुत्र अहाँ के भुतिआयल
रखबनि संग लगाय हे जननी
कतेक दुख सुनायब
सूरदास अधम जग मूरख
तारा नाम तोहार हे जननी
दुर्गा नाम तोहार
कतेक दुख सुनायब