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क़ितअ - 2 / पल पल जो परलाउ / हरि दिलगीर

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1.
नूरु बरसी पयो ज़मीन मथां,
चांदिनी रात आहि, मां आहियां।

2.
गाज घनघोर बादलनि जी आहि,
खू़ब जुल्मात आहि, मां आहियां।

3.
नूरु जुल्मात ॿेई पाछूला,
अस्लु जा जाति आहि, मां आहयां।

4.
करिश्मो नाहि को बि दुनिया में,
जा करामत आहि, मां आहियां।

5.
जो बि ॾिसिजे थो, जो बि ॿुधिजे थो,
छा अजब बात आहि, मां आहियां।