भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्योंकर किनाराकश है सफाई न दे मुझे / सादिक़ रिज़वी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:59, 7 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सादिक़ रिज़वी }} {{KKCatGhazal}} <poem> क्योंकर क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्योंकर किनाराकश है सफाई न दे मुझे
पीरी में बेटा शाक-ए-जुदाई न दे मुझे

कुछ ऐसा फंस गया हूँ मोहब्बत के जाल में
राहे फरारे इश्क़ सुझाई न दे मुझे

मुंसिफ तो क्या मैं शह्र का क़ाज़ी तलक नहीं
मज़लूम दर पे आ के दुहाई न दे मुझे

मालिक अभी तो कारे मोहब्बत है नातमाम
क़ैद-ए-हयात से तू रिहाई न दे मुझे

कर दूं हवाले मौत को इज्ज़त से ज़िंदगी
पाकीज़ा ज़ह्न-ओ-दिल में बुराई न दे मुझे

पूछो न मेरे आलमे वहशत हाल-ए-ज़ार
अपने ही दिल की बात सुनाई न दे मुझे

तुमको पसंद गर नहीं 'सादिक़' की शायरी
दाद-ए-सुखन कभी मेरे भाई न दे मुझे