भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चीर के कइसे देखाईं दिल भला जुम्मन मियाँ / रामरक्षा मिश्र विमल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:26, 4 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामरक्षा मिश्र विमल |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चीर के कइसे देखाईं दिल भला जुम्मन मियाँ
अब करीं बिशवास कहिया ले इहाँ जुम्मन मियाँ

आदमीयत के इहाँ औसत निकालल जात बा
आदमी कइसे बची कतहूँ इहाँ जुम्मन मियाँ

हाल पूछे लोग अइहें पास बस तब्बे तलक
जोर गाटा में रही जब ले जवाँ जुम्मन मियाँ

आदमी तऽ हो गइल बा आजु अब हलुआ-पुड़ी
जे उड़ाई ढेर ओकरे जीत बा जुम्मन मियाँ

अब अन्हरिया के बता द राह बदले के परी
चाँदनी के हो गइल शुरुआत बा जुम्मन मियाँ