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छोड़ी गेलै पिया परदेशी घर में जियरो नै लागै / नवीन चंद्र शुक्ल 'पुष्प'
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छोड़ी गेलै पिया परदेशी घर में जियरो नै लागै
सहलो नै जाय छै कलेश घर में जियरो नैं लागै
गवना करी केॅ गेलै होय गेलै सपना
सपनहुँ तै ऐलैं सजना बरसै छै नयना
जिया में लागी गेलै ठेस घर में जियरो नै लागै
जोहतेॅ डगर हमरोॅ पथरैलै अंखिया
लिखी-लिखी हारी गेलाँ दै-दै केॅ पतिया
देलकै नै एक्को सन्देश घर में जियरो नै लागै
सुखी-सूखी काँटोॅ भेलै फूलोॅ रं देह रे
एक नजर देखै लेॅ छै अटकलोॅ नेह रे
आवोॅ सजना छोड़ी विदेश घर में जियरो नै लागै
एक मन करै रामा चली जाँव नैहर रे
दोसरो मन करै घोरी पीवी लौं जहर रे
धरलौं योगिनियाँ के भेष घर में जियरो नै लागै