भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जाग रहे तुम कौन सदा मम निभृत हृदय में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:54, 8 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(राग कल्याण-ताल त्रिताल)
जाग रहे तुम कौन सदा मम निभृत हृदय में हे प्यारे।
कौन अधीर विरह-व्याकुल प्राणोंसे टेर रहे प्यारे॥
विविध कार्य, नाना साजोंमें, फँसा जगत में हूँ प्यारे।
इसमें, मेरा संग चाहते, हो तुम कौन कहो प्यारे॥