भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाने ये किस की बनाई हुई / 'अमीर' क़ज़लबाश

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:26, 1 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='अमीर' क़ज़लबाश }} {{KKCatGhazal}} <poem> जाने ये ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं
ताज सर पर हैं मगर पाँव में ज़ंजीरें हैं

क्या मेरी सोच थी क्या सामने आया मेरे
क्या मेरे ख़्वाब थे क्या ख़्वाब की ताबीरें हैं

कितने सर है के जो गर्दन-ज़दनी हैं अब भी
हम के बुज़-दिल है मगर हाथ में शमशीरें हैं

चार जानिब हैं सियह रात के साए लेकिन
उफ़ुक़-ए-दिल पे नई सुब्ह की तनवीरें हैं

उस की आँखों को ख़ुदा यूँ ही सलामत रक्खे
उस की आँखों में मेरे ख़्वाब की ताबीरें हैं