भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जेठाउननेमान / पतझड़ / श्रीउमेश

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:53, 2 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीउमेश |अनुवादक= |संग्रह=पतझड़ /...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देखें ऐंगना में दादी लिखल छै केहनों बढ़िया चौंक।
सौंसे गामोॅ के चौकोॅ सें हमरे छै गनगनियां चौंक॥
चौंकोॅ पर छै खड़ा केतारी, आजे छेकै देवोत्थान।
केला-सुथनी-दूध-सकरकन के लगतै नैवेद्य महान॥
सुरखा चूड़ा पंचामृत सें होतै एकरोॅ बाद नेमान।
आगनो में पंचामृत देॅ केॅ, धाने धान-नेमाने नेमान॥