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डूब चलो दिन माय साझ भई मदिर मे / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

डूब चलो दिन माय, सांझ भई मंदिर में।
काहे के मैया दियला बने हैं
काहे की डारी जोत। सांझ भई मंदिर में
सोने के मैया दियला बने हैं,
रूपे की डारी जोत। सांझ...
कौन सुहागन दियरा जारें,
कौना ने डारी जोत। सांझ...
सीता सुहागन दियरा जारे,
रामा ने डारी जोत। सांझ...
कहां बनी मैया तोरी मडुरिया,
कौना भयो रखवार, सांझ...
ऊंचे पहाड़ मैया बनी मडुरिया,
लंगुरा भये रखवार। सांझ...
सुमिर-सुमिर मैया तोरे जस गाऊं,
चरणन की बलिहार। सांझ...