भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भागल तऽ बहुरहबा जाइ छै / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:12, 2 अगस्त 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=सलहे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भागल तऽ बहुरहबा जाइ छै
दुलहा के तऽ आइ छोड़ाबै लय
आ भागल तऽ बहुरहबा जाइ छै
आ दुलहा छोड़ाबैय लय ने गय।
हौ प्रेमी सब
आब बुझि गेलै पाँचों हयऽ बहिनियाँ
मोतीराम आब अबै अय।
बुझि गेलै पाँचो मलीनियाँ
मोतीराम अबै छै ने अय।