भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मर्दा के मै शामिल होग्या, बणकै मर्द दिखाणा भाई / दयाचंद मायना

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:46, 3 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दयाचंद मायना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मर्दां के मै शामिल होग्या, बणकै मर्द दिखाणा भाई
ढेठ बांध कै रहणा होगा, ना चोट पीठ पै खाणा भाई...टेक

दे भगवान तनै वो लहणा, हो हथियार मर्द का गहणा
चौबिस घण्टे हाजिर रहणा, कदे ला बैठै ना लाणा भाई...

होगे बड़े-बड़े बलवान, पृथ्वीराज नर मलखान
थी म्हारे देश की श्यान, शिवाजी, प्रताप सिंह महाराणा भाई...

सुणो हो हरफूल सिंह था जाट, ना टेकराम था घाट
श्री गोविन्द सिंह सम्राट, लड़ाकू मन तै नहीं भुलाणा भाई...

बाजे, लखमी, धनपत सिंह, अपणा खूब जमागे रंग
‘दयाचन्द’ तेरा न्यारा ढंग, प्रजा को रिझाणा भाई...