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मस्ताना पिए जा यूँ ही मस्ताना पिए जा / 'अख्तर' शीरानी
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मस्ताना पिए जा यूँ ही मस्ताना पिए जा ।
पैमाना तो क्या चीज़ है मयखाना पिए जा ।
कर गर्क मयो-जाम गमे-गर्दिशे अयियाम,
अब ए दिले नाकाम तू रिन्दाना पिए जा ।
मयनोशी के आदाब से आगाह नहीं तू,
जिया तरह कहे साक़िए-मयखाना पिए जा ।
इस बस्ती में है वहशते-मस्ती ही से हस्ती,
दीवाना बन औ बादिले दीवाना पिए जा ।
मयखाने के हँगामे हैं कुछ देर के मेहमाँ,
है सुब्ह क़रीब अख़्तरे-दीवाना पिए जा ।