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मृत्युबोध / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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चाह है आज इस क़दर बेज़ार,
खाँसता हो ज्यों मौत का रोगी,
दर्द की कुछ दवा तो कर लूँ, पर
क्या यही खुदकुशी नहीं होगी?