भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मृत्युबोध / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:09, 4 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेरजंग गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=चंद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
चाह है आज इस क़दर बेज़ार,
खाँसता हो ज्यों मौत का रोगी,
दर्द की कुछ दवा तो कर लूँ, पर
क्या यही खुदकुशी नहीं होगी?