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मौन प्रतीक्षा आँसू के घट रीत गये / रंजना वर्मा

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मौन प्रतीक्षा आँसू के घट रीत गये।
तुम बिन जैसे बरस हज़ारों बीत गये॥

साथ निभाने का वादा था जन्मों तक
मुझसे मिले बिना ही क्यों मनमीत गये॥

तुम थे तो दुख के पल भी सुख मय थे
साथ तुम्हारे सारे सुख-संगीत गये॥

कितने व्रत उपवास तुम्हारे लिये किये
फिर भी सारे धर्म कर्म विपरीत गये॥

जीवन है वीरान भावना रूठ गयी
खुशियों के पल सब होकर भयभीत गये॥

करवट करवट कटतीं रातें नींद बिना
सपने संग लिये सब मेरी प्रीत गये॥

गूँगी हुई कलम बेरंग कल्पनाएँ
कविता रूठी रूठ अधर से गीत गये॥