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ये भी अपना क़ुसूर है यारो / कांतिमोहन 'सोज़'

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ये भी अपना क़ुसूर है यारो ।
वो अगर दूर-दूर है यारो ।।

मेरे ऊपर वो जां निसार करे
माजरा कुछ ज़रूर है यारो ।

उसको दस्ते-सितम पे नाज़ बहुत
मुझको दिल पर ग़रूर है यारो ।

जान देना भी एक हुनर ठहरा
किसको इसका शऊर है यारो ।

शेख़ जन्नतनशीं हुआ शायद
उसके पहलू में हूर है यारो ।

हो न हो उसकी आमद-आमद है
आज तारों में नूर है यारो ।

सोज़ से आज मांग लो कुछ भी
आज वो पुरसरूर है यारो ।।