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लीली पगड़ी ताज, यो म्हारा ए राज / अमर सिंह छाछिया

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लीली पगड़ी ताज, यो म्हारा ए राज।
कांग्रेस कै लगी साज या भा.ज.पा. गई भाज।...टेक

गरीब बेचारे दिन और रात ये चिन्ता म्हं रह सैं।
गरीबी खत्म करांगे जड़ तै ये सरकार कह सैं।
1800 के भा गया आटा ये भुखे रह सैं।
एक कमाऊ दस खाणिये इनकै जी नै रोवै सै।
हे रै इब तो आंख खोल लो थारे सर पै रही बाज...

इन गुंड्यां नै पकड़ ले जांगे जल्लाद।
होवै रमान्ड इनकी उतरैगी खाल।
लागै रगड़ा होवै मंजाई देही हो जागी लाल।
होवै सुन्न पड़ै खून यो हो जागा घायल।
तेरा भी इन्तजार कर रे थे तूं फंसा ऐ आज।

इन गरीबां के ऊपर हो रे सैं अत्याचार।
तनैं भी आज बख्शै कोन्या तैं भी हो ले त्यार।
के बिगाड़ा इन गरीबां नै तनैं करा इन पै वार।
बब्बर शेर खड़े चुगरदै तैं हो ले होशियार।
तैं पड़ा खाट म्हं तड़फैगा तेरा होगा इसा ईलाज...

देश सारे म्हं पड़री किलकी मायावती आवैगी।
सबकै खुशी होई इतणी या त्यौहार सा मनावैगी।
फिरगी लहर ना होगी खैर गुंडा का सफाया बणावैगी।
इस भारत का बदलै नक्शा या दुख तै बहाल करावैगी।
तेरे भजना की फरमास अमरसिंह सारे कै बाजे साज...।