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साँवरी सुरतिया तोरी बावरा बनाए ! / कांतिमोहन 'सोज़'

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साँवरी सुरतिया तोरी बावरा बनाए !
सामने न आए श्याम चित्त से न जाए
साँवरी सुरतिया तोरी बावरा बनाए ।।

खीझे न खिझाए श्याम
रीझे न रिझाए
ऐसे निरमोहिया से
पार न बसाए !
साँवरी सुरतिया तोरी बावरा बनाए ।।

नैनों में बसा है श्याम
दूसरा न भाए
नींद भी न आए मोहे
चैन भी न आए !
साँवरी सुरतिया तोरी बावरा बनाए ।।

काहे को सताए श्याम
काहे को रुलाए
मोह-मुदित अंगना को
अंग ना लगाए !
साँवरी सुरतिया तोरी बावरा बनाए ।।