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काबिल के कहल कखनियो न करलक / विजेता मुद्गलपुरी
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काबिल के कहल कखनियो न करलक
करलक कहल हमेशा ज्ञान हीन के
सनकी शराब के सवार भेल सीर पर
अपना के शाह बुझलक दीन-हीन के
दीन-हीन दारू पी के दहारै दवंग सन
देह नै सम्हार में बढ़ावै डेग गीन के
भनत विजेता बस एक चूरू दारू लेली
मनुष के तन, मन जल हीन मीन के