भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कोई मेरे पीछे / निकानोर पार्रा / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
मेरा लिखा
हर शब्द पढ़ता है
बाँए कन्धे के पीछे से झाँकता है
बेशर्मी से मेरी उलझन पर हंसता है
छड़ी और पूँछों वाला एक शख़्स
मैं देखता हूँ
पर वहाँ कोई नहीं है
फिर भी मुझे पता है
कोई मुझे देखता है
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य