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बिनती सुनि प्रभु प्रमुदित भए |
रीछराज, कपिराज नील-नल बोलि बालिनन्दन लए ||
बूझिये कहा? रजाइ पाइ नय-धरम सहित ऊतर दए |
बली बन्धु ताको जेहि बिमोह-बस बैर-बीज बरबस बए ||
बाँहपगार द्वार तेरे तैं सभय न कबहूँ फिरि गए |
तुलसी असरन-सरन स्वामिके बिरद बिराजत नित नए ||