भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ब्राह्माण के गो-धन की रक्षा / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(राग बिहागरा-तीन ताल)

ब्राह्मण के गो-धन की रक्षा की अर्जुनने धर्म-विचार।
 राज्य त्याग बारह वर्षोंके लिये किया समोद स्वीकार॥
 तीर्थाटन करते पहुँचे वे सागर-तटपर तीर्थ प्रभास।
 समाचार पा दूतोंसे आये श्रीकृञ्ष्ण सखाके पास॥
 हृदय लगाकर मिले परस्पर नर-नारायण मित्र पवित्र।
 प्रेम-सुधा-रस-सागर उमड़ा मधुर दशा शुचि हु‌ई विचित्र॥