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|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
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उनकी कोई जाति नहीं होती
किसी राष्ट्र के नागरिक भी नहीं होते हैं वे
पिता की तरह उंगलियों को थाम लेते हैं
माँ की तरह बहते हैं
पूरी दुनिया में है
इनकी पहचान के सारे सूत्र