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16:11, 21 जनवरी 2011
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, yah testing hai shigra hi rachana bhi ankit ki jayegi॥जिन पर मेघों के नयन गिरेवे सबके सब हो गए हरे । पतझड़ का सुन कर करुण रुदन जिसने उतार दे दिए वसन उस पर निकले किशोर किसलय कलियाँ निकली निकला यौवन । जिन पर वसंत की पवन चलीवे सबकी सब खिल गईं कली । सह स्वयं ज्येष्ठ की तीव्र तपन जिसने अपने छायाश्रित जन के लिए बनाई मधुर मही लख उसे भरे नभ के लोचन । लख जिन्हें गगन के नयन भरेवे सबके सब हो गए हरे ।
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