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तेरे हाथों की शम्मों की हसरत में हम
नीम तारीक राहों में मारे गए ।
 ....
दार - फ़ाँसी का तख़्त, तारीक - अंधेरे, नीम - आधा रोशन
....
सूलियों पर हमारे लबों से परे
तेरे होठों की लाली लपकती रही ।
देख क़ायम रहे इस गवाही पर हम ।
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हर्फ़ - अक्षर । क़न्दील - दीया ।
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ना-रसाई अगर अपनी तक़दीर थी
तेरी उल्फ़त तो अपनी ही तदबीर थी
हम जो तारीक राहों में मारे गए .. ।
तदबीर - योजना, युक्ति, नियोजन । हिज्र - विरह । अलम - ज्ञान । उश्शाक़ - आशिक आशिक़ (बहुवचन के अर्थ में) ।
मुख़्तसर - संक्षिप्त, छोटा ।
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