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'''लेखन वर्ष: 2004'''
कैसे मिलूँ तुमसे तुम से जो न मिलना चाहो
चला चलूँ अगर साथ चलना चाहो
नहीं कहते कह देते हो मुझ से हर बार तुममुझ से करूँ क्या’ जो तुम मैं करता भी क्या, गर ख़ुद जलना चाहो
मैं इक मसख़रा <ref>मज़ाक करने वाला</ref> ही सही तुम तो गुल होतुमको तुम को हँसा दूँ जो अगर तुम खिलना चाहो
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