भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
}}
{{KKAnthologyLove}}{{KKCatKavita}}<poem>
असीम सौन्दर्य की एक लहर,
नदी से नहीं--
देखते ही देखते
उमड़ी तुम्हारे शरीर से,
छाप कर छा गई
फैल गई मुझ पर !
</poem>