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}}
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<poem>
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय<br>
एक लख धेनु नंद बाबा कें
नित घर माखन होय
दधि माखन तू रोज चुरावै
हँसी हमारी होय
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय...
</poem>
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|रचनाकार=अज्ञात
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चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय<br>
एक लख धेनु नंद बाबा कें
नित घर माखन होय
दधि माखन तू रोज चुरावै
हँसी हमारी होय
चोरी माखन की दै छोड़ि
कन्हैया मैं समझाऊँ तोय...
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