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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वी०एम० गिरिजा |संग्रह=प्रेम : एक एलबम / वी० एम० गि…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वी०एम० गिरिजा
|संग्रह=प्रेम : एक एलबम / वी० एम० गिरिजा
}}
<poem>
फिर
ठंडी फर्श पर
औधीं लेटकर
मैं बनी हिम का ढेर ...
तुम सो रहे हो, कुछ दूर
नग्न
बरसे बदल की तरह
आश्वस्त ।
मैं उस धरती की तरह
बिजली से फाड़ दी गयी हो
जख्मी...
मिट्टी की परतों के अन्दर
शोरगुल, हँसी,
यौवन, स्नेह
वह क्षण जब तुम पहली बार शरीर में समा गये...
क्या ये सब झूठ हैं ?
ठंडी फर्श पर
नग्न शिला-मूर्ति सी
खून से लथ-पथ काली चाँदनी-सी
मैं ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=वी०एम० गिरिजा
|संग्रह=प्रेम : एक एलबम / वी० एम० गिरिजा
}}
<poem>
फिर
ठंडी फर्श पर
औधीं लेटकर
मैं बनी हिम का ढेर ...
तुम सो रहे हो, कुछ दूर
नग्न
बरसे बदल की तरह
आश्वस्त ।
मैं उस धरती की तरह
बिजली से फाड़ दी गयी हो
जख्मी...
मिट्टी की परतों के अन्दर
शोरगुल, हँसी,
यौवन, स्नेह
वह क्षण जब तुम पहली बार शरीर में समा गये...
क्या ये सब झूठ हैं ?
ठंडी फर्श पर
नग्न शिला-मूर्ति सी
खून से लथ-पथ काली चाँदनी-सी
मैं ।
</poem>