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<poem>
'''दोहा'''
''(कवि की स्वयं-प्रति उक्ति-वर्णन)''

या बिधि बहु-लीला रचैं, हरि-राधा ब्रज माह ।
ताहि बरनि ’द्विजदेव’ तुम, किन मैंटौ दुख-दाह ॥
</poem>
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