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Kavita Kosh से
यों तो चक्कर था सदा पाँव में दीवाने के
नींद क्या खूब ख़ूब है आयी तेरे दर के आगे
जोर चलता नहीं किस्मत की हवाओं पे, गुलाब!
जैसे चलती नहीं तिनके की लहर के आगे
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