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और एक दिन निशि के सूनेपन में रूग्ण पिता के
चरणों पर रख पत्र एक, सूत बैठा शीश झुका के झुकाके पत्र नहीं वह प्रथम पाठ था आत्म-शुद्धि के तप जप का
जड़ीभूत हिम-से प्राणों पर लेपन शरदातप का
यज्ञ-कुंड था वह जिसमें कुल कल्मष दग्ध हुए थे
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