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लाज से तीनों गये मर जब कि आयी पास
एक चकवी चकई के खुले पट
एक नभ-दीपक बुझा झट
एक बाला सरित -तट पर आ गयी, कटि पर लिए लिये घटएक विरहिन सो गयी होकर नितांत हतासहताश
चाँदनी करती चली परिहास