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Kavita Kosh से
गीत को पंख लग गए जैसे
प्रेरणा बन के बनके छा रहा है कोई
ज्योति किसकी है दूर अम्बर में!
सामने मुस्कुरा रहा है कोई
आज होठों होँठों पे खिल रहे हैं गुलाब
मेरी ग़ज़लों को गा रहा है कोई
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